Saturday, April 10, 2010

गुमनामियों मे रहना, नहीं है कबूल मुझको..HarendraSingh Rajput

मुझको..

 frens.jpg
गुमनामियों मे रहना, नहीं है कबूल मुझको..
चलना नहीं गवारा, बस साया बनके पीछे..
वोह दिल मे ही छिपा है, सब जानते हैं लेकिन..
क्यूं भागते फ़िरते हैं, दायरो-हरम के पीछे..
अब “दोस्त” मैं कहूं या, उनको कहूं मैं “दुश्मन”..
जो मुस्कुरा रहे हैं,खंजर छुपा के अपने पीछे..
तुम चांद बनके जानम, इतराओ चाहे जितना..
पर उसको याद रखना, रोशन हो जिसके पीछे..
वोह बदगुमा है खुद को, समझे खुशी का कारण..
कि मैं चेह-चहा रहा हूं, अपने खुदा के पीछे..
इस ज़िन्दगी का मकसद, तब होगा पूराHarendra”..
जब लोग याद करके, मुस्कायेंगे तेरे पीछे..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..

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मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने मे भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार म्रत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एह्सान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गती की मशाल आंधी मैं ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गती आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतीवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगती भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाशाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..

Thursday, April 8, 2010

Just Let Me Love You ..

बहुत है..

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जिनकी झलक मे करार बहुत है..
उसका मिलना दुशवार बहुत है..
जो मेरे हांथों की लकीरों मे नहीं..
उस से हमें प्यार बहुत है..
जिस को मेरे दिल का रास्ता भी नहीं मलूम..
इन धडकनों को उसका इंतेज़ार बहुत है..
येह हो नही सकता कि वो हमे भुला दे..
क्या करें हमे उसपे एतबार बहुत है..

मेरी माँ..

मेरी माँ..

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नये ज़माने के रंग में,
पुरानी सी लगती है जो|
आगे बढने वालों के बीच,
पिछङी सी लगती है जो|
गिर जाने पर मेरे,
दर्द से सिहर जाती है जो|
चश्मे के पीछे ,आँखें गढाए,
हर चेहरे में मुझे निहारती है जो|
खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
मेरा इन्तजार करती है जो|
सुई में धागा डालने के लिये,
हर बार मेरी मनुहार करती है जो|
तवे से उतरे हुए ,गरम फुल्कों में,
जाने कितना स्वाद भर देती है जो|
मुझे परदेस भेज ,अब याद करके,
कभी-कभी पलकें भिगा लेती है जो|
मेरी खुशियों का लवण,मेरे जीवन का सार,
मेरी मुस्कुराहटों की मिठास,मेरी आशाओं का आधार,
मेरी माँ, हाँ मेरी माँ ही तो है वो|

आंखे बंद करलूं जो मैं अब ना जा . प्यार की ये रात है प्यार है तुम्ही से

अब ना जा..

a 
night with Moon and Stars.. 
आंखे बंद करलूं जो मैं.. देखूं बस तुम्हें..
ख्वाबों में ही कह सकता हूं, अपना तुम्हें..
रहने दे, मेरा ये वहम, येही यकीन..
ना जा अभी..
प्यार की ये रात है,  अब ना जा..
छोटी सी एक बात है.. अब ना जा..
तुम्ही से हैं मेरी नीदें, ना भी हों तो क्या..
तुम्ही से हैं मेरी बातें, ना भी हों तो क्या..
केहने दे, तारों को कहानी अनकही..
ना जा अभी..
प्यार की ये रात है,  अब ना जा..
छोटी सी एक बात है.. अब ना जा..
पल दो पल का साथ है.. अब ना जा..
जादू सी ये रात है.. अब ना जा.. अब ना जा..
आखें लें प्यार की बूदें, बिखरे से कई सवाल..
आखों मे कितने मौसम, पल मे बीते कितने साल..
बेहने दे जहां भी ले जाये ज़िन्दगी..
ना जा अभी..
प्यार की ये रात है,  अब ना जा..
छोटी सी एक बात है.. अब ना जा..
पल दो पल का साथ है.. अब ना जा..
जादू सी ये रात है.. अब ना जा..
अब ना जा.. अब ना जा..